Wednesday 15 April 2020

भीमराया

भीमराया
तोडून गुलामी | केलीस करणी
घेतली लेखणी | हाती भीमा..
तुझी प्रज्ञा मोठी | झुकली मस्तके
वाचली पुस्तके | अहोरात्र..
माणूसपणाची | दिली तू जाण
आणलेस भान | जागवून..
तळपता सूर्य | नवीन प्रभात
स्वप्न या डोळ्यात | रूजविले..
अज्ञान, अंधार | दूर जळमटे
दिसला पहाटे | ज्ञानसूर्या..
झाला तू कैवारी | कोटी उपकार
समता सागर | भीमराया..
दिले सम हक्क | स्त्री, दुबळ्यांस
लिहले देशास | संविधान

रघुनाथ सोनटक्के

 १५ एप्रिल २०२०, आदर्श महाराष्ट्र
Vatratika, Raghunath Sontakke

No comments:

Post a Comment