भीमराया
तोडून गुलामी | केलीस करणी
घेतली लेखणी | हाती भीमा..
तुझी प्रज्ञा मोठी | झुकली मस्तके
वाचली पुस्तके | अहोरात्र..
माणूसपणाची | दिली तू जाण
आणलेस भान | जागवून..
तळपता सूर्य | नवीन प्रभात
स्वप्न या डोळ्यात | रूजविले..
अज्ञान, अंधार | दूर जळमटे
दिसला पहाटे | ज्ञानसूर्या..
झाला तू कैवारी | कोटी उपकार
समता सागर | भीमराया..
दिले सम हक्क | स्त्री, दुबळ्यांस
लिहले देशास | संविधान
• रघुनाथ सोनटक्के
१५ एप्रिल २०२०, आदर्श महाराष्ट्र
तोडून गुलामी | केलीस करणी
घेतली लेखणी | हाती भीमा..
तुझी प्रज्ञा मोठी | झुकली मस्तके
वाचली पुस्तके | अहोरात्र..
माणूसपणाची | दिली तू जाण
आणलेस भान | जागवून..
तळपता सूर्य | नवीन प्रभात
स्वप्न या डोळ्यात | रूजविले..
अज्ञान, अंधार | दूर जळमटे
दिसला पहाटे | ज्ञानसूर्या..
झाला तू कैवारी | कोटी उपकार
समता सागर | भीमराया..
दिले सम हक्क | स्त्री, दुबळ्यांस
लिहले देशास | संविधान
• रघुनाथ सोनटक्के
१५ एप्रिल २०२०, आदर्श महाराष्ट्र
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